कक्षा आठवीं में अध्ययनरत् बालक एवं बालिकाओं की सामाजिक परिपक्वता का तुलनात्मक अध्ययन
Abstract
किशोरावस्था में किशोर की आयु जैसे-जैसे बढ़ती जाती है वैसे-वैसे उसे सामजिक कार्यक्रमों में भाग लेने के अधिक अवसर प्राप्त होने लगते है फलस्वरूप उसमें सामाजिक सूझ की मात्रा बढ़ जाती है तथा यह सामाजिक परिस्थितियों एवं समाज के लोगों का प्रत्यक्षीकरण अधिक अच्छे ढंग से करने लग जाता है। आयु बढ़ने लगती है और उनमें पर्याप्त मात्रा में सामाजिक समायोजन की मात्रा भी बढने लगती है। और उनमें पर्याप्त मात्रा में सामाजिक परिपक्वता आ जाती है। यह सामाजिक प्रत्याशाओं के अनुसार व्यवहार करने लगता है। उसमें उत्तरदायित्व की पर्याप्त भावना आ जाता हैं । वह सामाजिक अनुरूपता स्थापित करने लगता है। सामाजिक परिपक्वता के कारण वह बिना पक्षपात के दूसरे लोगों के साथ अच्छा समायोजन बनाने में सफल होता है।
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Published
2021-09-03
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Section
Articles