कृषकों की आजीविका में नाबार्ड द्वारा प्रायोजित कृषक उत्पादक संघ की भूमिका पर एक अध्ययन (उत्तर प्रदेश के विशेष सन्दर्भ में)

Authors

  • प्रभाकर सिंह एम.ए., एम.फिल, अर्थशास्त्र, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर नगर।

Abstract

कृषि समस्त उद्योगों की जननी, मानवजीवन की पोषक एवं सम्पन्नता का प्रतीक समझी जाती है। भारत जैसे विकास शील देश में कृषि का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। वर्तमान समय (2019-2020)में भारतीय अर्थव्यवस्था में 17% योगदान जी.डी.पी. के रूप में है। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से देश की कुल जनसंख्या- 1, 374, 788, 863 (एक अरब सैंतिस करोड़ सैंतालिस लाख अठ्ठासी हजार आठ सौ तिरसठ) की 60% आबादी कृषि पर निर्भर है। भारत में यह केवल जीविका का मात्र स्थान ही नहीं बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की अस्थि है। देश के उद्योग धंधे, विदेशी मुद्रा अर्जन, विभिन्न योजनाओं की सफलता, बाजार एवं राजनैतिक स्थिरता भी कृषि पर निर्भर है। बिना कृषि वृद्धि के देश का विकास संभव नहीं है। वर्तमान समय में कृषकों की आजीविका को बढ़ाने हेतु कृषक उत्पादक संघ (एफपीओ) प्रदेश में एक विशेष भूमिका निभा रहा है। इसका सबसे सफल उदाहरण अमूल डेयरी उत्पादन संगठन है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 19.98 करोड़ जनसंख्या उत्तर प्रदेश में निवास करती है। जबकि वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश की अनुमानित जनसंख्या 22.88 करोड़ है। जो कि 2011 की जनगड़ना के अनुसार 2.9 करोड़ की वृद्धि हुयी है। राज्य की कुल जनसंख्या का 65% जनसंख्या प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर करती है। जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि राज्य की आय या आजीविका का मुख्य श्रोत कृषि ही है। उत्तर प्रदेश राज्य कृषि जोतों का आकार बहुत बड़ा नहीं है यहां पर अधिकतर जोते छोटी व सीमांत हैं। कृषि के संगठित न होने के कारण कृषको को अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाता है। कृषक उत्पादक संघ के माध्यम से सीमांत व छोटो किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य, बाजारों का विस्तार, सस्ती तकनीकी, आर्थिक रियायत (सब्सिडी) दिलाकर उनकी आय को निरंतर बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। कृषक उत्पादक एक वैधानिक संगठन है जिसमें प्राथमिक उत्पादों का किसान, दुग्ध उत्पादक, मछली पालन, बुनकर, शिल्पकार, ग्रामीण कारीगर को भी सम्मिलित किया गया है। जिसमें लघु कृषक कृषि व्यापार संघ भी लगातार कृषक उत्पादक संगठन को प्रोत्साहित कर रहा है। इस संगठन में उत्पादक, संघ के अंश धारक (शेयर होल्डर) भी होते हैं जो प्राथमिक वस्तुओं से संबधित व्यवसायिक क्रियाओं में लगे रहते हैं।

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Published

2021-06-15