राष्ट्रीय सुरक्षा व समृद्धि के समक्ष मानव- व्याधियों का संकट: श्रीहनुमानबाहुक के विशेष सन्दर्भ में
सार
वर्तमान समय में राष्ट्रीय सुरक्षा का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक हो गया है, युद्ध के दौरान केवल सेनाएं ही नहीं लड़ती है, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए उस देश की पूरी जनता युद्ध लड़ती है। कोई भी राष्ट्र शक्तिशाली तभी रह सकता है, जब उस देश की जनता स्वास्थ्य एवं निरोग रहे। वर्तमान समय में शत्रु राष्ट्र अपने आक्रमण का केंद्र सैनिकों को ना बनाकर उस देश की जनता को अपने आक्रमण का केंद्र बिंदु मान रहा है इसका ज्वलंत उदाहरण चीन द्वारा जैविक हथियार के रूप में कोविड-19 की उत्पत्ति है जिसके कारण आज पूरा संसार त्राहि-त्राहि कर रहा है। देश की सुरक्षा के लिए स्वस्थ समाज का होना अत्यंत आवश्यक है 2020 और 2021 में भारत ही नहीं, विश्व के लिए स्वास्थ्य के मायने ही बदल गए हैं महामारी से लड़ने और जीतने के लिए बुनियादी ढांचे को सशक्त करने के लिए अथक प्रयास किए गए, किंतु उतनी सफलता नहीं मिली है जितनी मिलनी चाहिए, बल्कि कोराना महामारी बढती जा रही है। साहित्य समाज का दर्पण होता है। इनकी रचना मानव कल्याण के लिए हुई है उसमें तुलसीकृत श्री हनुमान बाहुक रचना है जो तत्कालीन समय में महामारी के निवारण के लिए किया था, ऐसी मान्यता है कि इससे महामारी का निवारण हुआ था।