दक्षिणी राजस्थान में जनजाति एवं गैर जनजाति गांवों में वर्षा की प्रवृत्ति एवं उसका कृषि भूमि उपयोग पर तुलनात्मक अध्ययन व प्रभाव (2000-01, 2005-06, 2010-11)

लेखक

  • डॉ राजेंद्र कुमार मेघवाल वाइस प्रिंसिपलए आदर्श कॉलेजए घाटोलए बांसवाड़ाए राजस्थान

सार

कृषि भूमि मानव का आधारभूत संसाधन है। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि अपना महŸवपूर्ण स्थान रखती है। मानव सभ्यता के आरम्भिक काल से लेकर आज के विकसित वैज्ञानिक एवं तकनीकी युग में कृषि एक प्रमुख व्यवसाय रहा है। राज्य की 56 प्रतिशत आय कृषि से तथा कुल भूमि के 45 प्रतिशत भाग पर कृषि कार्य करने के साथ ही कुल कार्यरत जनसंख्या का 70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि व्यवसाय से जुड़ी हुई है। सन् 2011 में देश की 52 प्रतिशत आबादी को कृषि क्षेत्र में रोजगार मिला है। वर्ष 2010-11 में राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र का योगदान 14.5 प्रतिशत था, जो वर्ष 2012-13 में यह योगदान घटकर 13.90 प्रतिशत रह गया। कृषि भूगोलवेŸाा का प्रमुख कार्य भू-तल पर मानवीय तथा भौतिक तत्वों के संयोग से उत्पन्न क्षेत्रिय प्रारूप तथा उनके अन्र्तसम्बन्धों को खोजना तथा स्पष्ट करना है। अध्ययन क्षेत्र में बढ़ती हुई जनसंख्या के अनुपात में कृषि भूमि का क्षेत्र लगातार कम होता जा रहा है। कृषि क्षेत्र बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध करवाने वाला क्रिया कलाप है। देष में 1951 (प्रथम पंचवर्षीय योजना) से लेकर 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017) तक कृषि को विशेष महत्व दिया गया है।

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प्रकाशित

2019-07-15