मानवीय सरोकारों की टकराहट से उत्पन्न कविताएँ

लेखक

  • दिनेश अहिरवार शोधार्थी, हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी (उ.प्र.).

सार

समकालीन हिंदी कविता संसार में रीतादास राम की काव्य-यात्रा का सफ़र गंभीर रूप से नब्बे के दशक से प्रारंभ होता है| अब तक इनके दो कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं| पहला ‘तृष्णा’ 2012 में प्रकाशित हुआ तथा हिंदी कविता जगत में काफी चर्चित भी रहा है| ‘गीली मिट्टी के रूपाकार’ 2016 में ‘हिन्द युग्म’ से प्रकाशित दूसरा कविता-संग्रह है| इसमें 2012 से 2016 के दौरान लिखी गई कविताओं को संग्रहीत किया गया है| ‘गीली मिट्टी के रूपाकार’ को वर्ष 2016 में ‘हेमंत स्मृति कविता सम्मान’ (हेमंत स्मृति फाउंडेशन, भोपाल, म.प्र.) से सम्मानित किया गया है| रीतादास राम के इस कविता-संग्रह की कविताओं से गुजरना अपने वर्तमान समय से बावस्ता होना है| इनकी कविताएँ वर्तमान मनुष्य के दैनिक जीवन की तमाम उलझनों, संघर्षों एवं विभिन्न समसामयिक मुद्दों की टकराहट से उत्पन्न हुई हैं जिसके दृश्य इन कविताओं में बखूबी दृष्टिगोचर हुए हैं|

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प्रकाशित

2019-07-15