निर्मल वर्मा की कहानियों में मानसिक स्वास्थ्य और अकेलेपन की परछाई

लेखक

  • नीति खरे सहायक प्रोफेसर, रूंगटा कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, दुर्ग सीजी, हेमचनाद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग, भारत।
  • डॉ. चिरंजीत सरकार संकाय सदस्य (एस.ए.सी.टी), पंचकोट महाविद्यालय, सिद्धो-कान्हो-बिरसा विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल, भारत।

सार

निर्मल वर्मा, आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख कथाकार, अपनी कहानियों में मानसिक स्वास्थ्य और अकेलेपन जैसे गहन और जटिल विषयों को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करते हैं। उनकी कहानियां मानव मन की आंतरिक उलझनों, अस्तित्व संबंधी प्रश्नों, और आधुनिक जीवन के अलगाव को उजागर करती हैं। यह शोध निर्मल वर्मा की कहानियों में मानसिक स्वास्थ्य और अकेलेपन के चित्रण का विश्लेषण करता है। उनकी कहानियों के पात्र भावनात्मक और मानसिक रूप से अलग-थलग हैं, जो उन्हें आत्मविश्लेषण और आत्मनिरीक्षण की ओर प्रेरित करते हैं। पात्रों के मानसिक संघर्ष, असुरक्षा और अस्तित्ववादी प्रश्न उनकी कहानियों के मुख्य आधार हैं। आधुनिक जीवन और पारिवारिक-सामाजिक ताने-बाने में आई दरारें पात्रों के अलगाव को और बढ़ाती हैं। इसके साथ ही, निर्मल वर्मा ने प्रकृति और वातावरण का कुशलतापूर्वक उपयोग करते हुए पात्रों की मनोदशा को प्रभावी ढंग से व्यक्त किया है। यह अध्ययन मानसिक स्वास्थ्य और अकेलेपन के विषयों पर हिंदी साहित्य में एक नई दृष्टि प्रदान करता है।

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प्रकाशित

2024-03-02