राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा और नागरिक-जीवन का स्वास्थ्य-संदर्भ: हनुमानबाहुक के विशेष संदर्भ में

लेखक

  • डॉ नर्वदेश्वर पाण्डेय सह-आचार्य, रक्षा एवं स्त्रातजीय अध्ययन (सैन्य- विज्ञान), का.सु. साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय-अयोध्या।

सार

वर्तमान समय में राष्ट्रीय सुरक्षा का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक हो गया है, युद्ध के दौरान केवल सेनाएं ही नहीं लड़ती है, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए उस देश की पूरी जनता युद्ध लड़ती है। कोई भी राष्ट्र शक्तिशाली तभी रह सकता है, जब उस देश की जनता स्वास्थ्य एवं निरोग रहे। वर्तमान समय में शत्रु राष्ट्र अपने आक्रमण का केंद्र सैनिकों को ना बनाकर उस देश की जनता को अपने आक्रमण का केंद्र बिंदु मान रहा है इसका ज्वलंत उदाहरण चीन द्वारा जैविक हथियार के रूप में कोविड-19 की उत्पत्ति है जिसके कारण आज पूरा संसार त्राहि-त्राहि कर रहा है। देश की सुरक्षा के लिए स्वस्थ समाज का होना अत्यंत आवश्यक है 2020 और 2021 में भारत ही नहीं, विश्व के लिए स्वास्थ्य के मायने ही बदल गए हैं महामारी से लड़ने और जीतने के लिए बुनियादी ढांचे को सशक्त करने के लिए अथक प्रयास किए गए, किंतु उतनी सफलता नहीं मिली है जितनी मिलनी चाहिए, बल्कि कोराना महामारी बढती जा रही है। साहित्य समाज का दर्पण होता है। इनकी रचना मानव कल्याण के लिए हुई है उसमें तुलसीकृत श्री हनुमान बाहुक रचना है जो तत्कालीन समय में महामारी के निवारण के लिए किया था, ऐसी मान्यता है कि इससे महामारी का निवारण हुआ था।

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प्रकाशित

2021-06-15